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कश्मीर के हालात @घटिया नेतागीरी

Hindustani
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कश्मीर के हालात @घटिया नेतागीरी
जब जनरल रावत ने कहा कि कश्मीर में सेना के जवानो की मृत्यु की बहुत बड़ी वजह यह है कि वहां के अराजक लोग आतंकियों का साथ देते है और जब सेना द्वारा आतंकवादियों के खिलाफ अभियान चलाया जाता है तो पत्थर बाज लोग सेना पर हमला करते हैं। उन्हीं में से बहुत बड़ी संख्या में लोग ISIS और पाकिस्तान का झन्डा  लहराते हैं अब सेना उन पर भी कार्यवाही करेगी।
यह देर से उठाया गया कदम है परन्तु ऐसे महान देश में किया भी क्या जा सकता है। जिन लोगों ने देश की आजादी के लिए अपने और घर वालों की क़ुरबानी दे दी, वो लोग पूरी तरह से बर्बाद हो गए। उन्होंने केवल यह ख्वाब देखा था कि देश को अपने देश के लोग चलायेंगे और केवल अपने देश के ही लोग देश हित को समझ सकते है और उसके भले के लिए काम कर सकते हैं। अतः देश की सत्ता देश के ही लोगों के पास होनी चाहिए। भारत को विदेशियों से आजादी मिल गयी और देश की सत्ता देश के लोगों के हाथ में आ गयी।परन्तु आजादी के तुरंत बाद से ही देश हित का मुद्दा किनारे हो गया और अपने अपने स्वार्थ की लडाई चालू हो गयी। इसी लडाई से पाकिस्तान का निर्माण हुआ। सत्ता हथियाने के लिए जातिवाद को साजिश के तहत जैम कर बढ़ावा दिया गया, नक्सलवाद को स्थापित किया गया, आतंकवाद को भी पनपने का पूरा अवसर दिया गया। कश्मीर का मुद्दा बड़ी राजनितिक विफलता का सुबूत है। यह सब कुछ घटिया राजनीति स्थापित करने के लिए किया गया।  ऐसे साजिशकर्ता पहले बड़े आराम से देशद्रोहियों के साथ मिलकर मौज कर रहे थे पर जब आज उन्हें अपने राजनितिक अस्तित्व पर खतरा दिख रहा है तो वो बौखला गए हैं। जिस प्रकार से शराब पीकर ज्यादातर लोग अपनी दिल की बात को छिपा नहीं पाते उसी प्रकार से ये लोग अपनी राजनितिक अस्तित्व को खतरे में देख कर बौरा गए है और उनके दिल में क्या है वो खुल कर सामने आ गया है जो कि उनको देशद्रोही साबित करने के लिए पर्याप्त है।आज ऐसे लोग हिंदुस्तान की सुरछा के साथ दलाली करते नजर आ रहे हैं। दलाली तो पहले भी करते रहे थे, परन्तु परदे के पीछे से। परन्तु अब पर्दा हट गया है और पाकिस्तान परस्तो से इनकी गठजोर साफ़ साफ़ दिख रही है। यदि दलाली न की होती तो आज देश में आतंकवाद , नक्सलवाद, स्लीपर सेल इत्यादि ने जो जडें जमा चुकि हैं वो जमा न पाती। देश आज तक ऐसे अनाथों की भांति चलाया गया जिसका रखवाला एक कोई ऐसा रिश्तेदार था जिसका मकसद केवल वसीयत हड़पना था। उसको बच्चे की रखवाली से कोई लेना देना नहीं था। रखवाली तो केवल एक दिखावा था ताकि यदि वारिश पुछा जाये तो वो सामने आ जाएं और यह प्रतीत न होने दें की कोई रखवाला नहीं है।   ये लोग आज अपनी राजनीति सत्ता बचाने के लिए किसी भी स्तर तक जा रहे है। कांग्रेस के एक नेता तो पाकिस्तान में जाकर उनके हुक्मरावनो से अपनी पार्टी की सरकार बनवाने के लिए भीख मांग आये,  और आज उनके लोग हमारे सेना प्रमुख को खुल कर धमकियाँ दे रहे हैं।मेरा सीधा सा सुझाव ऐसे लोगों के लिए यह है कि जिस प्रकार से ओसामा बिन लादेन के मारे जाने पर पूरे हिंदुस्तान में जगह जगह उसके कुछ शुभचिन्तकों ने सभा करके विरोध प्रदर्शन किया था उसी प्रकार से इन राजनितिक पार्टियों को भी जगह जगह जन सभाएं कर सेना प्रमुख और भारतीय सेना के प्रति अपने विरोध कर प्रदर्शन करना चाहिए। इससे उनको राजनितिक फ़ायदा बहुत ज्यादा हो सकता है। आज बहुत सारे पाकिस्तान परस्तों को भ्रम रहता की कौन सी पार्टी उनकी वास्तविक हिमायती है और वो लोग केवल राष्ट्रवादी पार्टी को हराने की लिए किसी भी पार्टी को वोट करते हैं।यदि राजनितिक पार्टियाँ यह साबित कर दें कि केवल वो ही सच्ची पाकिस्तान परस्त है और हिंदुस्तान को फिर से गुलाम बनते देखना चाहती है तो निश्चित तौर पर सारे पाकिस्तान परस्त उनके साथ ही खड़े रहेंगे और और एक बहुत बड़ा वोट बैंक उनके साथ हो जायेगा इससे उनको ज्यादा राजनितिक फ़ायदा होगा। इनके लिए हुर्रियत और अन्य कश्मीर की अलगाववादी पार्टियाँ और संगठन उनके लिए बेहतर प्लेटफार्म हो सकते हैं। ऐसी राजनितिक पार्टियों को अपने वोट बैंक को बढाने के लिए तुरंत कश्मीर के अलगाववादियों के समर्थन में खुल कर आ जाना चाहिए और भारत की सेना को वहां से हटने के लिए प्रदर्शन शुरू कर देना चाहिय। ऐसा करने से उनके साथ भारत का बहुत बड़ा पाकिस्तान परस्त वोट बैंक उनके साथ होगा।परन्तु ध्यान रखने वाली बात यह होगी की प्रतिस्पर्धा काफी कठिन होगी क्यूंकि इस कार्यक्रम में कई पार्टियाँ शामिल होंगी और सभी अपने स्तर से यह साबित करने की भरपूर कोशिश में लगी होंगी कि इन सबमे सच्चा राष्ट्र द्रोही वो ही हैं। अतः एक बेहतर रणनीति बनाकर ही मैदान में उतरें और अन्य देश द्रोहियों से बेहतर देशद्रोही साबित करने की प्रभावी कोशिश करें।जहाँ तक राजनेताओं का प्रश्न है प्रधानमंत्री जी ने विमुद्रीकरण के पहले अपने एक भाषण में कहा था कि राजनितिक बिरादरी सबसे ज्यादा बदनाम है। कई लोग इसके इसकी आड़ लेकर कैसे कैसे कारनामे करते हैं। उनका इशारा नौकरशाही पर था। प्रधानमंत्री मोदी जी के सत्ता में आने के बाद देश में राजनेताओं के प्रति समाज का नजरिया बदल रहा है। जहाँ एक और ज्यादातर राजनेता वोट बैंक को ही साधते रहते थे आज वो विकास की बात कर रहे हैं। राजनेताओं के प्रति लोगों का सकारात्मक हुआ है जब से नयी केंद्र सरकार सत्ता में आई है उस पर भ्रस्टाचार के झूठे आरोप भी नहीं लग पाए। जबकि इसके पहले तक यदि कोई झूठ ही राजनेताओं पर अर्रोप लगता था तो लोग उसे सच मान लेते थे परन्तु आज लोग इस प्रकार के आरोप पर भरोषा ही नहीं करते। अतः अब राजनेताओं के प्रति लोगों का सम्मान बढ़ा है, और यदि ऐसा ही चलता रहा तो राजनेताओं की बिरादरी भारत की सबसे सम्मानित श्रेणी में से गिना जायेगा।     आज केंद्र सरकार राष्ट्र निर्माण के दृष्टिकोण के साथ (clear vision to develop nation) सारे कार्य कर रही है चाहे वह रास्ट्रीय स्तर के हों अथवा अंतररास्ट्रीय स्तर के हों, इस वजह से विरोधियों को कोई मुद्दा नहीं मिल रहा है। विपछी दल यदि राष्ट्र निर्माण के दृष्टिकोण वाले होते तो उन्हें सरकार के खिलाफ कई वाजिब मुद्दे भी मिल सकते थे परन्तु जिनके नियत में ही खोट है तो उनके मुद्दे भी उनकी खोटी नियत की तरह ही होते हैं, जिनकी कोई लम्बी उम्र नहीं होती। उनके मुद्दे हैं ही क्या ? तीन तलाक का समर्थन, जी यस टी बिल का विरोध, सेना का विरोध, विमुद्रिकरण का विरोध. अतः मेरी सलाह यह है कि ऐसे लोग तुरंत ही सेना के विरोध में उतर आयें और ऐसा करने से हो सकता है की उनकी डूबती राजनितिक नईया के लिए यह कोई पतवार की तरह काम कर जाय।        पहली बार भारत के विरोध की वजह से पाकिस्तान में होने वाली SAARC सम्मलेन को रद्द करना पड़ा क्यूंकि सभी देशों ने पाकिस्तान आने से मन कर दिया और पाकिस्तान की अंतररास्ट्रीय स्तर पर बड़ी थू थू हुई। क्या इसके पहले किसी सरकार ने कभी ऐसा करने की हिम्मत की थी ? सर्जिकल स्ट्राइक पर कई राजनेताओं ने बड़ी बेशर्मी से कहा की यह पहले भी होती रही जबकि ऐसी हिम्मत किसी भी सरकार में नहीं थी। सेना के जवानों को गोली चलाने के लिए भी केंद्र सरकार से अनुमति मंगनी पड़ती थी इससे शर्म की बात क्या हो सकती है और ऐसे नेताओं को तो शर्म से मर जान चाहिए की आज वो सरकार को सुझाव देते नजर आ रहे हैं।  आज जब आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्यवाही की जा रही है तो अब देशद्रोही लोग सेना को चेतावनी दे रहे हैं। उनको शायद यह नहीं पता कि यदि आज वो सुरछित हैं तो सेना की वजह से सुरछित हैं।सेना को चाहिय कि केवल ISIS और पाकिस्तान का झंडा फहराने वालों पर ही कार्यवाही न करें परन्तु उन सब पर बिना देर किये हुए कार्यवाही करें जो आतंकवादियों का किसी भी प्रकार से समर्थन भी करते हों वो चाहे भाषण के माध्यम से ही क्यूँ न हो।        एक बात और गौर करने वाली है कि अभी तक अवार्ड वापसी पार्टी का कोई अता पता नहीं है।उनका भी बहुत बेसब्री से इन्जार है। पता तो चले कितने देशद्रोही भारत का अवार्ड आडम्बर करके हथिया ले गए हैं

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