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अमृत्य सेन
मुझे नहीं लगता की उनके इन विचारों को ज्यादा तवज्जो देनी चाहिए। जहाँ तक विमुद्रीकरण का प्रश्न है तो इसे आज कोई भी सामान्य दिमाग रखने वाला व्यक्ति सहज ही महसूस कर सकता है कि विमुद्रीकरण के बाद ही जिन फ्लैट्स या जमीनों की कीमतें दिन प्रतिदिन बढती चली जा रही थी आज उनमे ३५ से ४० प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है और अगले ३ से ४ सालों में उनकी कीमते बढ़ने के कोई आसार नहीं दिखाई दे रही है। जिन दालों की कीमत २०० रुपये प्रति किलो
पहुँच गयी थी आज वो ६० से लेकर ८० रुपये के बीच आ गई है।
पता नहीं क्यूँ महान अमृत्य सेन जी को यह सारी सच्चाई दिखाई नहीं पड़ रही है। जो कि विमुद्रीकरण की निति का ही परिणाम है…….
बहुत समय से मोदी जी की आर्थिक और सामाजिक सुधार नीतियों के विरोध में अमृत्य सेन काफी चर्चा में है। वो एक प्रसिद्द अर्थशास्त्री हैं जिनका विचार किसी भी मुद्दे के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है और गंभीरता से भी लिया जाता है।
परन्तु एक बात मेरी समझ के परे है की उन्होंने ऐसी कौन सी नयी शोध कर डाली की मोदी सरकार की हर नीतियाँ उन्हें गड़बड़ दिखाई देती हैं। अभी जल्दी में विमुद्रीकरण की निति को उन्होंने गलत बता दिया और मोदी सरकार के इस निर्णय का विरोध किया। उन्होंने कहा की विमुद्रीकरण का कोई फायदा उन्हें दिखाई नहीं देता। मुझे लगता है की उन्हें अब अपने दिमाग के स्वास्थ की जांच जल्द से जल्द करानी चाहिय। ऐसा इसलिए की एक महान अर्थशास्त्री से ऐसी बातों की उम्मीद नहीं की जा सकती।जब एक महान व्यक्ति ऐसी उलटी बाते करने लगे तो इससे यह सहज ही उम्मीद की जा सकता है की उसके दिमागी स्वास्थ्य में गिरावट आ गई है।
अतः मुझे नहीं लगता की उनके इन विचारों को ज्यादा तवज्जो देनी चाहिए। जहाँ तक विमुद्रीकरण का प्रश्न है तो इसे आज कोई भी सामान्य दिमाग रखने वाला व्यक्ति सहज ही महसूस कर सकता है कि विमुद्रीकरण के बाद ही जिन फ्लैट्स या जमीनों की कीमतें दिन प्रतिदिन बढती चली जा रही थी आज उनमे ३५ से ४० प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है और अगले ३ से ४ सालों में उनकी कीमते बढ़ने के कोई आसार नहीं दिखाई दे रही है। जिन दालों की कीमत २०० रुपये प्रति किलो
पहुँच गयी थी आज वो ६० से लेकर ८० रुपये के बीच आ गई है।
पता नहीं क्यूँ महान अमृत्य सेन जी को यह सारी सच्चाई दिखाई नहीं पड़ रही है। जो कि विमुद्रीकरण की निति का ही परिणाम है।
मेरी कामना है कि भगवान उन्हें जल्द ही स्वास्थ करें ताकि वो भारत के निर्माण में अपने शोधों के माध्यम से अपना उत्तम योगदान प्रदान कर सकें।
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