Menu
blogid : 25317 postid : 1312704

सड़क निर्माण @ ओवरलोडिंग

Hindustani
Hindustani
  • 25 Posts
  • 2 Comments

सड़क निर्माण @ ओवरलोडिंग

.…. आज भारत में सड़क ख़राब होने की प्रमुख वजह है ट्रक जैसे वाहनों की ओवरलोडिंग। एक सामान्य ट्रक से सामान्यतया लगभग 9 से 15 Mt. (9000 to 15000 Kg/किलो weight) के वजन का सामान ढोना चाहिए। परन्तु हम लगभग रोज अपने आसपास बालू, मोरंग और गिट्टी के ऊपर तक भरे हुए ट्रक देख सकते है। इन भरे हुए ट्रकों का वजन 60 mt. (60000 kg/किलो ) से भी ऊपर का होता है। इसका अर्थ है की एक ट्रक चार ट्रक के बराबर सामान एक साथ लेकर चल रहा होता है……..

विकास होने के अनगिनत लाभ होते हैं। विकास कार्यों में बहुत बड़ी मात्र में धन खर्च होता है और यह धन आम जनता की कमाई से टैक्स के रूप में प्राप्त किया जात है और विभिन्न प्रकार की योजनाओ के माध्यम से यह पैसा देश की आम जनता के भले के लिये खर्च किया जाता है।

उसी प्रकार सरकार सड़कों के निर्माण पर बहुत बड़ी मात्रा में पैसे खर्च करती है। परन्तु दुर्भाग्य से इसके रखरखाव पर ध्यान नहीं देती। जब कोई बनी हुई जल्दी से ख़राब हो जाती है सरकारी तंत्र यह कह कर पीछा छुड़ाने की कोशिश करता है की सड़क बनवा दी गयी थी, अब टूट गयी है, नया बजट पास कराएंगे फिर फिर दोबारा बना दिया दिया जायेगा। ऐसी परिस्थिति इसलिए पैदा होती है क्यूंकि सरकार या उसके विभिन्न तंत्र को धन के व्यय की कोई चिंता नहीं होती है, इसमें उनका खुद का पैसा नहीं लगता वो जनता का पैसा है और टैक्स के माध्यम से आता रहता है। अतः उसका सदुपयोग हो अथवा दुरूपयोग हो क्या फर्क पड़ता है। परन्तु सरकारी तंत्र यह कहते मिलता है की सरकारी धन है। उन्हें यह कौन बताये की कोई भी धन सरकारी नहीं होता, जो भी धन सरकारी खजाने में होता है वह पैसा आम जनता का होता है।

हम सभी लोग अपने आसपास कभी भी अपने दिए हुए टैक्स के पैसे के बड़ी ही बेरहमी से दुरूपयोग होते हुए देख सकते है। ऊपर से जब सरकार के माध्यम से कही यह सन्देश लिखा दीखता है की “यह संपत्ति आप की है, इसे नुकसान न पहुचाएं” तो बहुत ही क्रोध महसूस होता है। यह बात समझ के परे होती है कि हमारे टैक्स के पैसे का एक और खुलेआम पूरी बेरहमी के साथ बर्बादी की जाती है और दूसरी तरफ हमें ऐसी सलाह भी दी जाती है। क्या आम जनता ही अपना पैसा टैक्स में भी दे, दुसरे लोग  उसका दुरूपयोग करें, और जो बच खुचा लगाये गया है उसकी रक्षा भी आम जनता करे।

हम कई बार अपने आस पास देख सकते है कि एक अच्छी भली सड़क बार बार बनाई जाती जिसकी कोई आवश्यकता नहीं होती। और जहाँ सड़क नहीं है वहां नयी सड़क बनवाने के लिए वर्षों का इन्तजार करना पड़ता है।

मान लीजिये एक सड़क बना दी गयी, और उसमे लगभग ५ करोड़ रुपये खर्च किये गए, यह भी मान लेते है कि सड़क की गुणवत्ता भी अच्छी है। परन्तु अगले छह से सात महीने में ही वह सड़क पुनः टूट जाती है। गुणवत्ता सही होने की स्थिति में यदि सड़क ख़राब होती है बरसात उसका करण नहीं हो सकती। जल्दी ही बनी सड़क के बार बार टूटने के बाद यदि उसे पुनः बनाना है तो फिर सरकार के खजाने से पैसा निकला जाता है। यदि किसी सड़क को एक बार बनाने में ५ करोड़ रुपये लगे और उसकी उम्र पांच सालों के लिए है, यदि वह तीसरे साल में ही टूट जाती है, तो फिर उसे बनाने के लिए पुनः ५ करोड़ रुपये की आवश्यकता पड़ेगी। अतः खर्च लगभग दुगना हो जायेगा। यह पैसे की बर्बादी ही तो है की जो काम ५ करोड़ में हो सकता था उसपर १० करोड़ या उससे अधिक का व्यय किया जाता है।

आज भारत में सड़क ख़राब होने की जो मुख्य वजह है वह है ट्रक जैसे वाहनों की ओवरलोडिंग। एक सामान्य ट्रक से सामान्यतया लगभग 9 से 15 Mt. (9000 to 15000 Kg/किलो weight) के वजन का सामान ढोना चाहिए। परन्तु हम लगभग रोज अपने आसपास बालू, मोरंग और गिट्टी इत्यादि के ऊपर तक भरे हुए ट्रक देख सकते है। इन भरे हुए ट्रकों का वजन 60 mt. (60000 kg/किलो ) से भी ऊपर का होता है। इसका अर्थ है की एक ट्रक चार ट्रक के बराबर सामान एक साथ लेकर चल रहा होता है। इतना बड़ा वजन जब एक ही समय पर सड़क के किसी भी हिस्से पर पड़ता है तो सामान्य तारकोल से बनी सड़कों के टूटने की संभावना बहुत अधिक होती है, चाहे वह कितनी भी अच्छी गुणवत्ता की बनी क्यूँ न हो। सड़कों के टूटने की संभावना बरसात के समय में ज्यादा होती है और जब भीगी हुई सड़क पर मोरंग, बालू, गिट्टी इत्यादि से भरा हुआ ट्रक 60000 kg लेकर गुजरता है तो पीछे से सड़क टूटती हुई साफ़ देखी जा सकती है।

सरकार ने खूब ढेर सारे कानून बना रखे हैं परंतु उनसे उन्हें कुशलता से लागू करने को न कहो। केंद्र सरकार ने यह इच्छा जाहिर की थी की वो देश से आर. टी. ओ. प्रणाली ख़त्म करेगी। परन्तु आज तक तीन साल होने वाले है उस बिंदु पर कोई विचार नहीं किया गया और रोज देश के लोगों की गाढ़ी कमाई की बर्बादी उनके आँखों के सामने खुले आम की जा रही है।

ऐसी स्थिति में हम लोग अपने को ठगा हुआ महसूस करते हैं क्यूंकि एक और एक भारी भरकम राशि को लगा कर एक सड़क बनायीं गयी जिसका सारा पैसा आम लोगों से वसूला गया है। और उसके रखरखाव के लिए इन भारी भरकम वाहनों पर एक तय मात्र से अधिक की सामान ढुलाई पर रोकथाम के लिए कोई इंतजाम नहीं किया गया।

जब कभी किसी विशेष ज़रूरत (जैसे लोगों को नौकरी देने की बात) के लिय फण्ड या पैसे की मदद की मांग की जाती है तो उसके लिए बजट की कमी और देश की गरीबी का बहाना दिया जाता है और यह बताने की कोशिश होती है की देश गरीब है और बहुत भारी भरकम खर्च उठाने की स्थिति में नहीं है। परन्तु जितना भी फण्ड या पैसा सरकार के पास आता है जिसका सरकार और सरकार का तंत्र बर्बाद करने में कोई कोर कसार नहीं छोड़ता है, यदि उस पैसे का सदुपयोग किया जाय तो सरकार अतरिक्त पैसे को अन्य सामाजिक कार्यों के लिए इस्तेमाल कर सकती है.

सरकार को सख्त कानून बनाकर और देश के लोगों को भी इसमें शामिल करके ओवर लोडिंग जैसी मनमानी व्यवस्था को ख़त्म करना चाहिए. जिससे बार बार सडकों के टूटने की नौबत ना आये।और जिस फण्ड का इस्तेमाल टूटी हुई सड़कों के बार बार मरम्मत पर खर्च किया जाता है, उस पैसे का इस्तेमाल लोगों को नौकरियां देकर, खाद्य सुरक्षा और गरीबों को स्वास्थ सेवाएं प्रदान करने में लगाया जा सके।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh